7 Days Hindi weekly
- BRAJBHUSHAN SINGH (EDITOR)
- DR.VIKASH HAZRA (CMD 7DAYS GROUP)
7Days Bihar Team
- मो० शायक उद्दीन (ब्यूरो प्रमुख Magadh Pramandal)
- मदन कुमार तिवारी (Advocate- Co-Ordinator Magadh & Shahabad) मो० 9431267027,9431267026,0631-2223223
- कुमार मंगलम (ब्युरो प्रमुख बिहार )
- Viseswar Kumar- Raniganj
- Sunil Kumar Mishra-Reporter- Aurangabad
- Sudrshan Kumar- Guraru
- Shasi Kapur Vishwkarma- Belaganj
- Satyendra Mishra- Madanpur
- Ramesh Chandra Mishra - Bakebazar
- Rajesh Kr. Ranjan- Rafiganj
- R.K.Trivedi Reporter-Tekari
- R.K.Mourya-Imamganj
- R.k.Bharatdwaz-Bakebazar
- Prince Kumar-Reporter- Aurangabad
- Nirbhaya Raj Pritam-Reporter-Dumariya
- Nibha Rani Reporter Sherghati
- Kaimu Khan- Vikramganj
- Jitendra Mishra- Konch
- Dinesh kumar pathak-DEV
- Ashok Kumar Singh- Haspura
- Arun Kumar Gupta-Goh
- amrendra kumar suman -Sasaram
- Amit Kumar- Guruaa
- Alakhdev pd- Achal- Daudnagar
7daysbihar.ning.com
GAYA KA VISHNUPAD MANDIR
Saturday, May 8, 2010
कदम चूम लेती है खुद बढ़के मंजिल ..
दाउदनगर (औरंगाबाद) आदमी का हौसला अगर बुलंद हो तो मंजिल खुद मिल जाती है। पिता का साया उठने के बाद बड़े भाई शिक्षक रामाकांत सिंह के कंधों पर खेलकर और रेपुरा जैसे छोटे से गांव में हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण कर शशि भूषण सिंह ने सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल कर समाज को यह संदेश दिया है 'कदम चूम लेती है खुद बढ़के मंजिल, मुसाफिर अगर दिल से हिम्मत न हारे।' सिविल सेवा परीक्षा में 713 वां स्थान प्राप्त करने के बाद उसे भारतीय राजस्व सेवा का मौका मिलेगा लेकिन मंजिल यहीं खत्म नहीं होती। उसे हर हाल में प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में जाकर समाज की सेवा करने का इरादा बना रखा है। टाप रैंक में आने के लिए वह एक बार फिर प्रयास करेगा। फिलवक्त बोकारो स्टील प्लांट में कनिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत सितम्बर 1977 में जन्मे शशिभूषण प्राथमिक विद्यालय रेपुरा फिर मध्य विद्यालय अकौनी और उच्च विद्यालय अकौनी से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। एएन कालेज पटना से आईएससी और पटना अभियंत्रण महाविद्यालय से बीएससी करने के बाद नौकरी कर रहा है। उसने बताया कि बोकारो में आफिस का कार्य निपटाने के बाद तीन से चार घंटा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए समय निकालते हैं। इसी पढ़ाई की बदौलत सफलता मिली है। उनके पिता स्व. युगेश्वर सिंह शिक्षक थे और उनकी मृत्यु तब हुई थी जब शशि भूषण मात्र सात वर्ष का था। जागरण से कहा कि ऐसी सफलता के लिए धैर्य की जरूरत होती है। असफलता से घबराना नहीं चाहिए बल्कि गलतियों से सबक लेकर अगला प्रयास पूरे हौसला के साथ करनी चाहिए। ग्रामीण परिवेश के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि वहां की धरती में इतनी ताकत है कि हम ऊंचाईयों को छू सकते है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment