
KUMAR MANGLAM, PATNA
भगवान बुद्ध ने बिहार के विस्तृत भू-भाग को अपने पद-धूलि से बार-बार पवित्र किया। उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, करूणा एवं सद्भाव के संदेश की प्रासंगिकता वर्तमान परिवेश में और बढ़ गई है। ऐसे में बृहस्पतिवार को एक बार फिर पाटलिपुत्र की धरती पावन हुई। यहां बुद्ध स्मृति पार्क में बुद्ध के ढाई हजार वर्ष पूर्व के पावन पुरावशेष का प्रतिष्ठापन किया गया। पुरावशेषों का प्रतिष्ठापन करने के बाद तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा ने कहा कि पाटलिपुत्र भगवान बुद्ध के द्वारा आशीर्वाद प्राप्त नगर है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में यह नगर अत्याधुनिक रूप से विकसित होगा। बृहस्पतिवार को पटना में बुद्ध स्मृति पार्क का उद्घाटन करते हुए दलाई लामा ने कहा कि इस पार्क में जो भी व्यक्ति आयें, वे चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, करूणा से भरा व्यवहार करें। इससे व्यक्ति के व्यक्तित्व का सुंदर विकास होगा। उन्होंने कहा कि बुद्ध के दर्शन और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। इसके माध्यम से विश्व में शांति और सद्भाव कायम रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार का तीव्र गति से विकास हो रहा है, ऐसा हमें अनुभव हुआ है। उद्घाटन के मौके पर दलाई लामा ने दो सौ फीट ऊंचे बौद्ध स्तूप के भीतर जापान, थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका और कोरिया से प्राप्त व स्वयं लाये गये बुद्ध के पावन पुरावशेष रखे। इस अवसर पर विशेष तौर पर श्रीलंका के अनुराधापुर और बोध गया से लाया गया पीपल का पौधा भी उन्होंने लगाया। समारोह में राज्यपाल देबानंद कुंवर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। दलाई लामा ने कहा कि ऐतिहासिक प्रदेश में बुद्ध स्मृति पार्क का निर्माण कराया गया है, इसके लिए वे राज्य सरकार को धन्यवाद देते हैं। हालांकि बीच के कुछ समय में बिहार की नाजुक स्थिति बन गयी थी लेकिन अब प्रदेश का तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब मालूम हुआ कि पटना में बौद्ध स्तूप का निर्माण हो रहा और वहां विभिन्न देशों से प्राप्त बुद्ध के पुरावशेष रखे जायेंगे तो उन्होंने भी बुद्ध के पुरावशेष रखने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि आज की जरूरत है कि दुनिया बुद्धत्व को अपनी भाषा में समझे। उन्होंने हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक सहिष्णुता एवं आपसी सद्भाव की चर्चा करते हुए कहा कि अहिंसा का सिद्धांत हर काल में प्रासंगिक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शांति कायम हो गयी है। यहां कोई आंतरिक विवाद नहीं है। राजनीतिक विवाद तो होते ही रहते हैं। बुद्ध को बिहार में स्थापित कर दिया गया है। पटना के बाद वैशाली में भी एक स्तूप का निर्माण होगा। यहां के लोग अब आपसी झगड़े में नहीं उलझेंगे। उन्होंने कहा कि बुद्ध स्मृति पार्क विरासत के प्रति उच्च भावना रखने वालों के लिए प्रेरणा केन्द्र प्रमाणित होगा। बुद्ध स्मृति पार्क और इसके पवित्र अवशेष स्तूप, बुद्ध और बिहार के पुरातन संबंध हमारी संस्कृति एवं विरासत के भव्य प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के 2600 वें वर्ष के प्रारंभ होने पर इस पार्क का लोकार्पण किया गया। यह वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण है। एशिया के विभिन्न देशों से प्राप्त बुद्ध के पवित्र स्मृति अवशेष के प्रतिष्ठापन के द्वारा विश्व बंधुत्व एवं शांति का उदाहरण स्थापित करने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की धरती को यह गौरव प्राप्त है कि सिद्धार्थ ने अपने जीवन का अधिकांश समय यहीं व्यतीत किया और बोधगया में संबोधि प्राप्त कर वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बने। बौद्ध दर्शन का भी बिहार की धरती पर व्यतीत बुद्ध के जीवन और समय से गहरा संबंध है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार की धरती पर बुद्ध के पदचिन्ह की पहचान और उन स्थलों के विकास की दिशा में एक विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है ताकि बिहार आने वाले पर्यटक बोधगया, राजगीर, नालंदा और वैशाली के साथ बिहार के उन बौद्ध स्थलों का भी परिदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि राजधानी में इस स्तूप की स्थापना के साथ बिहार विश्व बौद्ध परिपथ के केन्द्रीय आकर्षण के रूप में विकसित होगा। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बुद्ध स्मृति पार्क पटना की पहचान बनेगा। अब दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबी पटना आये बिना नहीं रह पायेंगे। बौद्ध धर्मावलंबी कुशीनगर, बोधगया, राजगीर, नालंदा, सारनाथ जैसे पावन स्थलों का दर्शन करने के साथ बुद्ध स्मृति पार्क का भी दर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार की धरती पर ही सबसे पहले गूंजा था.. बुद्धम् शरणम् गच्छामि...। बुद्ध स्मृति पार्क पटना को दुनिया के मानचित्र पर लाने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि लगभग दो सौ पच्चीस वर्ष पूर्व ‘गोलघर’ से पटना की पहचान जुड़ी थी। अब बुद्ध स्मृति पार्क भी पटना की अस्मिता के साथ जुड़ जायेगा। इस मौके पर दलाई लामा के साथ आये पांच अन्य बौद्ध भिक्षु सहित श्रीलंका से पांच, जापान से छह, थाईलैंड से दस, म्यांमार से पांच, सारनाथ से छह और बोध गया से बारह बौद्ध भिक्षु कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल हुए। इस मौके पर विधान परिषद् के सभापति ताराकांत झा , विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी सहित कई मंत्री, विधायक, मुख्य सचिव अनुप मुखर्जी एवं सरकार के उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में अतिथि भी मौजूद थे।
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