7 Days Hindi weekly

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GAYA KA VISHNUPAD MANDIR

GAYA KA VISHNUPAD MANDIR
GOD VISHNU CHARAN

Sunday, October 24, 2010

बावन से बरंडी बराज बनते आया मुद्दा

बरंडी बराज जलाशय परियोजना बाराचट्टी विधान सभा क्षेत्र की चुनावी फिजां में एक बार फिर इस क्षेत्र के किसान मतदाता इसे सबसे ज्वलंत मुद्दा बनाने की सोच बना रखा है। 1952 के विधान सभा से अब तक यह परियोजना चुनावों में मुद्दा बनते आ रहा है। वोट मांगने के दौरान जब यहां की जनता पिछले चुनावों मे परियोजना से जुड़ी बात को रखते थे तो उम्मीदवारों की जुबान लड़खड़ाने लगती थी। यह कड़वी सच्चाई है कि परियोजना बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के लिए एक बड़ा मुद्दा है। वर्ष 1985 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री रामाश्रय सिंह ने इसका शिलान्यास किया था। 1885 में ही बिहार के पंच वर्षीय योजना में मोहाने जलाशय के नाम से इसकी स्वीकृति मिली थी। जहां इसे तीन भाग में बांट दिया था। आरमे दाग जो झारखंड के इटखोरी ब्लाक में पड़ता है। दूसरा भलुआचट्टी तथा तीसरा बरंडी बराज जलाशय परियोजना है। उस वक्त इस कार्य को प्रगति पर लगने के लाने के लिए विभाग द्वारा 1 करोड़ रुपये की मंजूरी भी दी गयी थी। मोहनपुर प्रखंड के दुहोवार निवासी भुनेश्वर सिंह बताते हैं कि बरंडी बराज जलाशय परियोजना को मोहाने नदी के पूरबी तथा पश्चिमी छोर से नहर निकालकर मोहनपुर प्रखंड तथा फतेहपुर का पश्चिमी भाग होते हुए टनकुप्पा, मुफ्फसिल, वजीरगंज, खिजरसराय तक की समुचित भूमि को सिंचित किया जा सकता था। इसके कारण आज तक यहां विकास भी नदारद है। यहां के ग्रामीण सुरेश यादव, नग्गू मांझी, सीता देवी, श्यामफूल देवी कहती है कि चार-पांच साल पहले नेता जी देखने आये थे। उसके बाद न तो कोई विधायक यहां आते हैं। रही बात पदाधिकारियों की तो यहां कभी कोई प्रशासनिक पदाधिकारी नहीं पहुंचे है। भाकपा-माओवादी के आधार वाले इलाके कारण इस जगह तक सिर्फ पुलिस बल के जवान एवं इनके पदाधिकारियों का आना- जाना यदा-कदा होता रहता है। लगभग 19 हजार मत विधायक की कुर्सी को यहां बरकरार रख सकती है या फिर यहां से धक्का मारकर हटा सकती है। बावजूद इन मतदाताओं के वोट का मलाल यहां के नेताओं में नहीं होती है। फलस्वरूप चुनाव जीतकर जाने के बाद विधायक या सांसद वोट के दलालों को छोटी-छोटी शुभ फलदायक योजना देकर उसकी एहसान का कर्ज उतार लेते हैं। और खामियाजा यहां के 40 हजार से अधिक के ग्रामीण आज तक भुगत रहे हैं।

मंत्री डा.प्रेम कुमार की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा

गया शहरी विधान सभा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सह सूबे के पथ निर्माण मंत्री डा. प्रेम कुमार अदालत द्वारा फरार घोषित है। ऐसे में डा. कुमार को पुलिस गिरफ्तार करे। यह मांग शहरी क्षेत्र के निर्वाची अधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी सदर पारितोष कुमार से कांग्रेस (ई), लोजपा के राजकुमार प्रसाद उर्फ राजू वर्णवाल, निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह व अन्य प्रत्याशियों की थी। शनिवार को एसडीओ कार्यालय में नामांकन पत्र की स्क्रूटनी के मौके पर उपरोक्त बातें सामने आयी। विपक्षी प्रत्याशियों के तेवर को देख भाजपा प्रत्याशी सह मंत्री डा. प्रेम कुमार निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय से निकलकर अज्ञात स्थान की ओर चल दिये। इसके बाद हंगामा और शोर-शराबा होने लगा। विपक्षी प्रत्याशियों का आरोप था कि पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के बावजूद अदालत द्वारा फरार घोषित भाजपा प्रत्याशी डा. कुमार को गिरफ्तार न कर निर्वाची अधिकारी व पुलिस ने भागने का मौका दे दिया। निर्वाची अधिकारी श्री कुमार ने भाजपा प्रत्याशी डा. कुमार के नामांकन पत्र को रद्द करने के संबंध में दिये गये आवेदन को रद्द कर दिया। निर्वाची अधिकारी श्री कुमार ने अपने आदेश में कहा कि निर्वाची अधिकारी को यह देखना है कि प्रत्याशी के नामांकन पत्र व शपथ पत्र में त्रुटि है या नहीं? निर्वाची अधिकारी के फैसले के बाद कई प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ वरीय पुलिस अधीक्षक से मिलने एसपी आफिस गये। इस संबंध में एसएसपी अमित लोढ़ा ने बताया कि प्रेम कुमार के खिलाफ कोतवाली थाना कांड संख्या 303/91 दर्ज है। इस मामले में ट्रायल नंबर 118/96 में अदालत द्वारा संचिका में आदेश है कि 'अदालत ने आरोपी जमानत के बाद उपस्थित हुए फिर वे उपस्थित नहीं हो रहे हैं। संभावना नहीं है कि उपस्थित होंगे। ऐसे में आरोपी का नाम फरारी सूची में शामिल किया जाए।' एसएसपी श्री लोढ़ा ने कहा कि अदालत द्वारा उपरोक्त मामले में कोई गिरफ्तारी/कुर्की जप्ती वारंट निर्गत नहीं है। और ना ही उपरोक्त मामले में वारंट किसी थाने में अनुपालन के लिए लंबित है।

हुक्के की गुड़गुड़ाहट के साथ बिखरे सियासत के रंग

जैसे-जैसे गया जिले में 2010 का विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहा है ग्रामीण इलाकों में चौपालों पर हुक्के की गुड़गुड़ाहट के रंग दिखाने के साथ ही सियासत भी गरमा गयी है। पांचवें चरण में जिले के पांच विधानसभा में नामांकन प्रकिया पूरा होने के बाद कौन-कौन से क्षेत्र से कितने प्रत्याशी और किस से किसकी है टक्कर की चर्चा चौपालों पर जोरो पकड़ने लगी है। जहां चार लोग मिल रहे हैं चौपाल लग जा रही है और देखते ही देखते चुनावी चर्चा में घंटों कब बीत जा रहा पता नहीं चल रहा है। यानि की ये कहें कि गांव की चौपालों पर फिर रौनक लौट आयी है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलंबरदारों की चौपाल पर हुक्के के हर कश के साथ राजनीति, प्रत्याशी और क्षेत्र में हुए विकास कार्यो की चर्चा की ही चर्चा हो रही है। कौन किसके दु:ख-सुख में शरीक हुये सारी गणना चौपाल पर गिर-गिर कर हो रही है। सबसे ज्यादा नाराजगी उन लोगों से है जो कभी जितने के बाद उन लोगों से मिल तक नहीं हैं। लोगों का कहना है कि जीता कर भेजा था इस बार हम लोग ही उसे उतर भी देंगे। गांव के रास्तों पर वाहनों के काफिले का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही जनता के हाथ में एक बार फिर पार्टी और उसके प्रत्याशी की तकदीर लिखने की बागडोर आ गयी है। चुनाव में जनता किसे पसंद करेगी और किसे नापसंद इसका फैसला आने में तो अभी समय है। लेकिन इसका फैसला करने को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीति गरमाने लगी है। चौपाल जो सूनी पड़ी हुई थी। उनकी रौनक लौट आयी है। शाम होते ही खेती किसानी के कार्य को समाप्त कर गांव की चौपालों और चबूतरों पर हक्कों की गुड़गुड़ाहट के बीच हर कश के साथ सियासत के रंग बिखरने लगते हैं। गांव के बुजुर्ग हो या जवान सभी सियासत की चर्चा में मशगूल हो जाते हैं। राजनीति का क्षेत्र हो या पार्टी का प्रत्याशी। क्षेत्र में विकास कार्य हुए या उपेक्षा। उस सरकारी में कितने घटे बिजली मिली। किसानों को कब खाद मिला कब नहीं। उस समय उस नेता ने यह काम किया यह नहीं किया। किस पार्टी ने क्या काम किया आदि मुद्दों को लेकर जिले से लेकर पूरे सूबे के हालात पर बारी-बारी से रात तक विचार मंथन का दौर चलने लगा है। चौपालों पर ग्रामीण चुनावी समर में कूदे प्रत्याशियों के वोटों के गुणा भाग में भी व्यस्त दिखायी पड़ रहे हैं। 70 साल के सूरजमल ने बताया कि गांव की चौपाल पर लगने वाली पंचायतें व उसके फैसलों का चुनाव में अहम रोल होता है।

म्यांमार एयरवेज की गया-यंगून विमान सेवा

म्यांमार एयरवेज इंटरनेशनल की यंगून-गया-यंगून के बीच सीधी उड़ान शनिवार से आरंभ हुयी। म्यांमार एयरवेज की पर्यटन मौसम की पहली उड़ान 8 एम- 601 से 157 यात्री गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर 10 बजकर 30 मिनट पर उतरे। एयरवेज के स्टेशन प्रबंधक दिलीप कुमार सिन्हा ने बताया कि म्यांमार एयरवेज की उक्त उड़ान हर शनिवार को गया उपरोक्त समयनुसार आयेगीऔर 11:30 बजे 8 एम- 602 उड़ान के तहत यंगून के लिए वापसी उड़ान भरेगी। ज्ञात हो कि इस बार के पर्यटन मौसम मेंगया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से यंगून के लिए एयर इंडिया, म्यांमार एयरवेज और एयरबगान की उड़ानें सप्ताह में तीन दिन सुलभ है।

घर से खींच कर ले जा रही युवती को ग्रामीणों ने बचाया

गुरुआ थाना के परसांवा गांव से एक किशोरी को शादी की नीयत से जबरन खींच कर घर से ले जाने का विरोध करने पर लड़की की मां को शरारती लड़कों ने मारपीट किया। शनिवार को बांकेबाजार थाना क्षेत्र के लाला बिगहा से रंजन पासवान पिता रामस्वरूप पासवान के साथ अन्य छ: सहयोगियों के साथ परसांवा पहुंचा। राजकुमार पासवान (किशोरी के पिता) के घर गया। जहां दरवाजे पर फुआ से लड़की का नाम बताकर बात करने के लिए कहा। नाम, गांव पूछने पर फुआ को गाली-गलौज करते हुए घर में प्रवेश किया। मां और बेटी घर में दरवाजा बंद कर ली। शरारती लड़कों ने दरवाजा तोड़कर मां के साथ मारपीट कर घायल कर दिया और लड़की को खींच कर ले जा रहे थे। मां द्वारा शोरगुल किये जाने के बाद ग्रामीण को जुटते देख शरारती लड़के भाग निकले। बताया जाता है कि रंजन का उस गांव में रिश्तेदारी था। घायलावस्था में लड़की की मां जमतिया देवी गुरुआ थाने में आकर आपबीती सुनाई। पत्रकारों द्वारा डीएसपी से इसकी सूचना के बाद थानाध्यक्ष को फटकार लगी और फिर प्राथमिकी दर्ज हुआ

शेरशाह का शेरघाटी सियासत की सूर्खियों में

शेरशाह सूरी के नाम से चर्चित शेरघाटी को बरसों बाद अपने नाम का नया विधानसभा मिला है। कभी राजाओं का पड़ाव रहा शेरघाटी की ये नगरी इन दिनों राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा में है। आजादी से पहले (अंग्रेजों के जमाने) में शेरघाटी जिला मुख्यालय था। जिसका जिक्र इतिहास के पन्नों में अंकित है। बहरहाल हम बात कर रहे हैं लोकतंत्र के महावर्प की तो ये बताना जरूरी है कि शेरघाटी को देश की आजादी के महज चार वर्ष बाद 1951 में विधानसभा का दर्जा प्राप्त हुआ। 1951 में शेरघाटी, इमामगंज को मिलाकर शेरघाटी नया विधानसभा बनाया गया। 1951 के विधानसभा चुनाव में यहां से देवधारी एवं जगलाल महतो ने यहां का प्रतिनिधित्व किया। 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर कैप्टन शाहजहां यहां के विधायक बने। 1962 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें ही जीत मिली। 1967 में इस सीट से एम.एम. खान चुनाव जीते। 1969 में इस सीट पर जय राम गिरि ने अपना कब्जा जमा लिया। 1972 के चुनाव में भी जयराम गिरि ही इस सीट से विजयी घोषित हुए। 1977 के चुनाव में शेरघाटी विधानसभा विलुप्त होकर बोधगया विधानसभा में जुट गया। 1977 से लेकर 2005 तक डोभी प्रखंड, शेरघाटी प्रखंड और बोधगया प्रखंड को मिलाकर बोधगया विधानसभा रहा। सन 1977 के विधानसभा चुनाव में राजेश कुमार यहां के विधयक चुने गये वो बोधगया विधानसभा के प्रथम विधायक बने। 1980 के विधानसभा चुनाव में बालिक राम (सीपीआई) की टिकट पर चुनाव जीता। 1985 में पुन: राजेश कुमार (जनता दल) की टिकट पर यहां से चुनाव जीते। 1990 में फिर बालिक राम ने यहां रिकार्ड जीत दर्ज किया। 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार मालती देवी यहां की विधायक बनी। कुछ माह तक विधायक रहने के बाद राजद ने उन्हें नवादा से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया और वो चुनाव जीत गयी। इस सीट पर हुए उप चुनाव में जीएस रामचंद्र दास ने अपना कब्जा जमा लिया। 2000 में इस विधानसभा से जीतन राम मांझी (राजद) के सिम्बल पर चुनाव जीते। 2005 के विधानसभा चुनाव में फूलचंद मांझी (राजद) की टिकट पर चुनाव जीत गये। 2005 में जब सरकार नहीं बन सकी तो उप चुनाव हुआ जिसमें भाजपा के हरि मांझी यहां से विधायक चुने गये। हरि मांझी विधायक रहते हुए वर्ष 2008 में गया संसदीय क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और वो चुनाव जीत गये। उनके सांसद बनने के बाद पुन: जब इस सीट पर उप चुनाव हुआ तो यहां से लोजपा प्रत्याशी के रूप में कुमार सर्वजीत चुनाव जीते। 1972 के बाद शेरघाटी पुन: 2010 में नया विधानसभा बना है, जिससे यहां काफी खुशी देखी जा रही है।

दूसरे चरण में नौ बजे तक 9 फीसदी वोटिंग

kumar manglam पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत 45 सीटों पर रविवार सुबह सात बजे शुरू हुई मतदान की प्रक्रिया फिलहाल थोड़ी धीमी है, पर अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्रों पर लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है। सुबह नौ बजे तक नौ प्रतिशत मतदान हुआ है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कुमार अंशुमाली ने बताया कि मतदान शांतिपूर्ण जारी है और सुबह नौ बजे तक नौ प्रतिशत मतदान की सूचना है। गौरतलब है कि दूसरे चरण में 45 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है। 46 महिलाओं सहित 623 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। नक्सलियों द्वार चुनाव बहिष्कार की घोषणा के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के लिए छह चरण में मतदान कराया जा रहा है। पहले चरण का मतदान 21 अक्टूबर को हो गया। रविवार को सात बजे कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान आरंभ हो गया। दूसरे चरण में होने वाले चुनाव के अधिकांश इलाके मिथिलांचल और तिरहुत क्षेत्र के है। इस चरण के चुनाव में 10,315 मतदान केंद्रों पर 99,49,873 मतदाता 46 महिलाओं सहित कुल 623 प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला करेंगे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पांच विधानसभा क्षेत्र पारू, मीनापुर, साहेबगंज, शिवहर और बेलसंड विधानसभा क्षेत्र में सुबह सात बजे से तीन बजे तक मतदान होगा जबकि अन्य 40 क्षेत्रों में पांच बजे तक मत डाले जाएंगे। दूसरे चरण में जिन 45 सीटों पर चुनाव हो रहे है वे पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिला के अंतर्गत आते है। मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए है। उल्लेखनीय है कि प्रथम चरण के तहत गुरुवार को 47 सीटों पर मतदान कराया गया था जिसमें 54 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राज्य के पुलिस महानिदेशक नीलमणि ने बताया कि शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष ढंग से मतदान संपन्न कराए जाने के लिए चाक-चौबंद और पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की गई है। नीलमणि ने बताया कि नक्सल प्रभावित मतदान केंद्रों पर शत-प्रतिशत अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। जिन छह जिलों में आज चुनाव जारी है उनमें से एक समस्तीपुर को छोड़कर बाकी अन्य जिले मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा और पूर्वी चंपारण कमोबेश नक्सल प्रभावित हैं। शिवहर जिले में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर छह पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। नीलमणि ने बताया कि वहां के 96 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। नीलमणि ने कहा कि चुनाव के दौरान गड़बड़ी और हिंसा फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। बिहार के छह जिलों के जिन 45 विधानसभा क्षेत्रों में आज मतदान जारी है उनमें शिवहर जिला का एक विधानसभा क्षेत्र, सीतामढ़ी के 8, मुजफ्फरपुर के 11, पूर्वी चंपारण के 5 तथा दरभंगा एवं समस्तीपुर के दस-दस विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। नीलमणि ने कहा कि मतदान के दौरान हेलिकाप्टर से भी चुनाव प्रक्रिया पर निगरानी रखी जा रही है और माओवादी गतिविधियों पर पुलिस पैरलल फोन लाईन टै्रकिंग और गुगल अर्थ सिस्टम के जरिए नजर रख रही है तथा अब बिहार पुलिस को सेटेलाईट फोन भी उपलब्ध हो गया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुधीर कुमार राकेश ने बताया कि 45 विधानसभा क्षेत्रों के 10,315 मतदान केंद्रों पर 11,351 ईवीएम नियंत्रण इकाई और 13674 बैलट इकाइयों की व्यवस्था की गई है तथा 44 हजार मतदानकर्मियों को मतदान कार्य में लगाया गया है। विकलांग मतदाताओं के लिए प्रत्येक मतदान केंद्रों पर रैंप की व्यवस्था की गई है तथा दृष्टिहीन मतदाताओं के लिए हर मतदान केंद्र पर डमी बैलट शीट का इंतजाम किया गया है।

Monday, October 18, 2010

दुर्गापूजा देखने आई दो बहनों के साथ दुष्कर्म

मोहनियां विजयादशमी जैसे पवित्र पर्व पर भी मनचलों ने हैवानियत की सारी सीमाएं पार कर दीं। पूजा देखने आयीं दो सगी बहनों के साथ दुष्कर्म कर माहौल को विषाक्त बना दिया गया। बताते है चांदनी चौक स्थित जिला परिषद बस स्टैंड से मनचलों द्वारा रविवार की रात दो सगी बहनों को फिल्मी तौर पर कब्जे में कर अलग-अलग स्थान पर ले जाकर दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया है। मनचलों ने साथ में आए बड़ी बहन के शौहर अरुण कुमार सिंह एवं चचेरे भाई की पिटाई भी की है। पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन लोगों पर धारा 376(2)(जी), 366 लगा मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं थाने में पुलिस गिरफ्त में आए दो युवकों ने बताया कि हमें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। हमलोग बेकसूर हैं। मोहनियां पुलिस उपाधीक्षक पंकज कुमार सिन्हा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रात्रि पहर से ही छापेमारी कर पीडि़ता सहित दो मनचलों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। पीडि़त दोनों सगी बहनों एवं पति अरुण कुमार सिंह के बयान पर कांड संख्या 3121 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। दोनों बहनों को मेडिकल जांच के लिए रेफरल अस्पताल मोहनियां भेज दिया गया है। घटना के बारे में रेफरल अस्पताल में मौजूद पीडि़ता काल्पनिक नाम ग्राम, सैथुआ, थाना राजपुर, जिला बक्सर ने बताया कि कुछ मनचले मुण्डेश्वरी गेट के समीप मोटरसाइकिल खड़ी कर रंगीन मिजाज में थे। इस बीच अरुण कुमार के चचेरे भाई को पकड़कर पिटाई करने लगे जिसे वह मुझे अकेला छोड़ भाग खड़ा हुआ। इसी दौरान मनचले मुझे मोटरसाइकिल पर बैठाकर सुनसान अंधेरे में ले गए जहां मेरे साथ दुष्कर्म किया गया। वहीं दूसरी बहन (काल्पनिक नाम गीता) ने बताया कि मैं अपनी बहन को खोजती अपने पति अरुण कुमार के साथ चांदनी चौक के समीप पहुंची तो वहां दो मोटरसाइकिल सवार रंगीन मिजाज में मिले। इस बीच मनचले एक मोटरसाइकिल पर मुझे व दूसरी पर अरुण कुमार को बैठाकर सुनसान जगह की ओर जाने लगे तो अरुण मोटरसाइकिल से कूदकर किसी तरह थाने पहुंचे। उधर मनचले अंधेरे में ले जाकर मेरे साथ मुंह काला किए।

केंद्र के पैसे का नहीं हुआ सही इस्तेमाल : सोनिया

पटना । बिहार में कांग्रेस मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्हीं के विकास के मुद्दे पर घेर रही है। चुनावी समर में उतरीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि केंद्र बिना भेदभाव के बिहार को पैसे देता रहा, लेकिन राज्य सरकार ने उसका सही इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने सवाल किया कि बेरोजगारों के लिए नीतीश सरकार ने पांच वषरें में क्या किया ? सोनिया सोमवार को मोतिहारी व किशनगंज में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रही थीं। विदित हो कि अपने दौरे में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बिहार के विकास को केंद्रीय सहायता से जोड़ते हुए नीतीश सरकार पर प्रहार किये थे। सोनिया ने कहा कि काग्रेस पार्टी सत्ता की नहीं, बल्कि देश सेवा की राजनीति करती है। नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा- प्रदेश में चीनी मिलें बंद हैं। अस्पताल में सुविधाएं नदारद हैं। यहां के भ्रष्टाचार की आवाज दिल्ली तक सुनाई दे रही है। केंद्र से मिले पैसे से न तो गरीबों को रोजगार मिला और न ही महिलाओं व किसानों का विकास हुआ। विकास तब होता है, जब इसे लागू करने वाले की नीयत साफ हो। स्कूल नहीं है, बिजली की घोर किल्लत है तो विकास कैसा? इसका परिणाम यह है कि बिहार में आज भी घोर गरीबी है। केंद्रीय योजनाओं की चर्चा करते कहा कि अब सरकार खाद्यान्न सुरक्षा योजना कानून लाने वाली है, ताकि सबको भर पेट भोजन मिले। सोनिया ने कहा कि बिहार की जनता जागरूक है और उसे तय करना पड़ेगा कि कौन काम करने वाला है और कौन नहीं। लालू व पासवान की धर्म निरपेक्षता पर प्रहार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष कहा कि ये लोग पहले गैर धर्मनिरपेक्षों के साथ रहे हैं। कांग्रेस ही देश में अकेली धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, जो जाति व धर्म के बजाय सबके विकास की बात करती है। उन्होंने लालू व रामविलास का नाम लिये बगैर कहा कि इन्होंने गरीबों व अल्पसंख्यकों को ठगा है। जबकि नीतीश कुमार ने सांप्रदायिक ताकतों से हाथ लिाकर खुद को बेनकाब किया है। आक्रामक तेवर में नजर आईं सोनिया विभूषण सिन्हा, मोतीहारी : एक दशक बाद चंपारण की धरती पर कदम रखने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी में लोगों को काफी कुछ बदला-बदला नजर आया। तब रुक-रुककर लिखा भाषण पढ़ने वाली सोनिया ने इस बार कुशल वक्ता होने का बखूबी एहसास कराया। अपने भाषण में एक तरफ उन्होंने केंद्र सरकार की उपलब्धियों को एक-एक कर गिनाया। दूसरी तरफ बिहार सरकार की खामियां गिनाकर नीतीश सरकार को घेरने का प्रयास किया। सोनिया गांधी की यह छवि लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। अपनी बात को आक्रामक अंदाज में जोरदार तरीके से रखने की शैली ने लोगों में इंदिरा गांधी की याद ताजा कर दी। भीड़ में से आवाज भी आई कि आखिर बहू इंदिराजी की ही हैं। शायद यही वह आकर्षण था जिसके चलते तीन घंटे विलंब से आईं सोनिया को देखने-सुनने के लिए गर्मी में भी भारी भीड़ जिला स्कूल के मैदान में बनी रही

स्वतंत्र, निर्भिक व हिंसा रहित चुनाव कराने का प्रशासन का वादा

जिला प्रशासन ने जिले के 10 विधानसभा क्षेत्र के लिए दो चरणों में होने वाले चुनाव को स्वतंत्र, निर्भिक व हिंसारहित संपन्न कराने का वादा व दावा किया है। जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह व वरीय पुलिस अधीक्षक अमित लोढ़ा मीडियाकर्मियों के साथ शुक्रवार को समाहरणालय सभाकक्ष में रूबरू हो रहे थे। जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि जिले के दस में से पांच विधानसभा क्षेत्र के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गयी। वहीं पांच अन्य विधानसभा क्षेत्रों के लिए 27 अक्टूबर से अभ्यर्थियों से नामांकन पत्र प्राप्त किये जायेंगे। जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि जिले में कुल मतदाताओं की संख्या 22 लाख 71 हजार 858 है। जो 2744 मतदान केन्द्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। डीएम ने कहा कि पोलिंग पार्टी 1, 2 एवं 3 के प्रशिक्षण के साथ सेक्टर दंडाधिकारी, मास्टर ट्रेनर, निर्वाची पदाधिकारी, सहायक निर्वाची पदाधिकारी, बीडीओ व सीओ का प्रशिक्षण कार्य संपन्न हो चुका है। इसके अलावे चुनाव को लेकर कई कोषांगों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि 886 गश्ती वाहन व 268 सेक्टर दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जानी है। जो स्वतंत्र व निर्भिक चुनाव संपन्न करायेंगे। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए सभी प्रखंडों में चार-चार नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जाना है। मानव श्रृंखला बनाया गया। वरीय पुलिस अधीक्षक श्री लोढ़ा ने बताया कि 90 प्रतिशत मतदान केन्द्रों पर अ‌र्द्धसैनिक बल की देखरेख में चुनाव होगा। उन्होंने दावा किया कि उपलब्ध अ‌र्द्धसैनिक बल की सहायता से चलाये जा रहे विशेष अभियान में गया पुलिस को अच्छी उपलब्धियां मिली है। 474 अपराधी व 10 नक्सली गिरफ्तार किये गये। उन्होंने बताया कि अ‌र्द्धसैनिक बलों की 170 कंपनी की मांग चुनाव आयोग से निष्पक्ष व हिंसा रहित चुनाव कराने के लिए मांग की गयी है। अभी गया में 10 कंपनी अ‌र्द्धसैनिक बल उपलब्ध है। एसएसपी श्री लोढ़ा से पूछा गया कि जीटी रोड के दक्षिण इलाके में विशेष अभियान में अब तक गया पुलिस को क्या उपलब्धि हासिल हुई है? साथ ही एक दल विशेष के पक्ष में नक्सलियों द्वारा निकाले गये मशाल जुलूस व सभा का स्वतंत्र, निर्भिक व हिंसारहित चुनाव के दावे पर असर पड़ सकता है? एसएसपी श्री लोढ़ा ने माना कि जो परिणाम वो चाहते थे वह जीटी रोड के दक्षिण के क्षेत्र में पुलिस को अभी तक नहीं मिला। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इलाके में चुनाव को लेकर कोई बड़ी घटना भी नहीं हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि पुलिस नक्सलियों के कथित क्षेत्र में सक्रिय है।

माओवादियों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान

गुरारु| बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव बहिष्कार करने एवं क्रांतिकारी जन कमेटी (आरपीसी) के नेतृत्व में गठित हो रही 'जन सरकार' को मजबूत करने का आह्वान भाकपा (माओवादी) ने किया है। उक्त संबंध में भाकपा (माओवादी) के बिहार-झारखंड-उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता गोपाल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन निवेश बढ़ाने व विपक्षी सवर्णो को आरक्षण की बात कर रहा है। लेकिन बिहार की सुखाड़, बाढ़, अकाल, भूख, गरीबी, पलायन, बेकारी, मंहगाई आदि मुद्दे अदृश्य हैं। चुनाव जीतने के बाद साइकिल से चलने वाले नेता बोलेरो व हवाईजहाज एवं पांच सितारा होटल का आंनद उठाने लगते हैं। पर वोट देने वाली जनता भूखमरी, गरीबी, अकाल, अशिक्षा, बीमारी और गंदगी ही झेलते रह जाती है। भारत के सांसदों ने अपना वेतन भत्ता बढ़ाकर प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये कर लिया। लेकिन देश के 80 करोड़ जनता 6 सौ रुपये प्रतिमाह कमाती है। चुनाव मैदान में सत्ता की लड़ाई लड़ रहे प्रमुख दलों में जो आमने-सामने हैं। इसलिए चुनाव बहिष्कार करना ही बुद्धिमता और विकल्प है।

Friday, October 1, 2010

13 नये चेहरों को भाजपा ने दिये टिकट

पटना: भाजपा ने इस बार 13 नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है. पीरपैंती, गुरूआ, बखरी और बछवाड़ा से तो पार्टी ने साधारण कार्यकर्ता को मैदान में उतारा है. नौ अन्य सीटों पर पार्टी ने पहली बार किसी को टिकट दिया है. गुरूआ से प्रत्याशी बनाये गये सुरेंद्र प्रसाद सिंह मंडल अध्यक्ष हैं. उसी तरह पीरपैंती से चुनाव लड़ रहे अमन पासवान भी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता हैं. रामानंद राम बखरी से पार्टी के प्रत्याशी बनाये गये हैं, वे पहली बार चुनाव लड़ेंगे और पार्टी के साधारण कार्यकर्ता हैं. बछवाड़ा से चुनाव मैदान में उतरनेवाले कु ंदन सिंह भी पार्टी के साधारण सदस्य रहे हैं. भाजपा के टिकट पर चुनाव फे स करने का इनका नया अनुभव होगा. रीगा से भी पार्टी ने मोती लाल प्रसाद को पहली बार मैदान में उतारा है. फ़ारबिसगंज के भाजपा प्रत्याशी पदम पराग रेणु के लिए तो चुनाव लड़ना-लड़ाना बिलकु ल नयी बात होगी. वे महान कथाकार फ़णीश्वर नाथ रेणु के पुत्र हैं. मजहरूल बारी अमौर से पहली बार इलेक्शन फ़ाइट करेंगे. उन पर सबकी नजरें लगी रहेंगी, क्योंकि वे भाजपा के इकलौते मुसलिम उम्मीदवार हैं. सहरसा से भाजपा ने इस बार वहां के अपने पूर्व जिलाध्यक्ष आलोक झा को टिकट दिया है. बेनीपुर से भी वहां के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल ठाकु र को पार्टी ने मैदान में उतारा है. दोनों पहली बार चुनाव लड़ेंगे. जीरादेई से भाजपा की प्रत्याशी आशा पाठक को भी पहली बार विधानसभा का टिकट मिला है. उन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव है, क्योंकि वह जिला परिषद का चुनाव लड़ चुकी है. वैसे उनके पति सीवान के भाजपा जिलाध्यक्ष रहे हैं.वे उन्हें चुनाव में मदद करेंगे. तेघड़ा से चुनाव लड़ रहे ललन कुंवर भी पहली बार चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने जिलाध्यक्ष से लेकर पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति तक का सफ़र तय किया है और अब प्रत्याशी बने हैं. उसी तरह रजौली से कल्याण रजवार भी पहली बार चुनाव लड़ेंगे. बोध गया से चुनाव लड़ रहे श्यामदेव प्रसाद सिंह के लिए भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का पहला अनुभव होगा. वे राजद से भाजपा में आये हैं.

भाजपा की पहली सूची में 35 अगड़े

पटना: भाजपा की पहली सूची में अगड़ों ने बाजी मार ली. पार्टी ने 35 अगड़ों को टिकट दिये हैं, जबकि पिछड़ों को महज 26 टिकट दिये गये हैं. अगड़ी जातियों में सबसे अधिक 14 टिकट राजपूत समाज को मिले हैं. दूसरे नंबर पर भूमिहार व ब्राह्मण हैं. इन्हें 10-10 टिकट मिले हैं. कायस्थ समाज इस बार हाशिये पर है. एकमात्र कायस्थ अरुण सिन्हा को कुम्हरार से टिकट दिया गया है. नौ वैश्य, आठ यादव, छह कु शवाहा व तीन कु र्मी उम्मीदवार बनाये गये हैं. पिछली बार की तरह पार्टी ने मात्र एक सीट पर मुसलिम को टिकट देकर अपनी औपचारिकता पूरी की है. अमौर से इस बार मजहरूल बारी को पार्टी ने मैदान में उतारा है. पिछली बार यहां से अफ़ाक आलम को मैदान में उतारा था. वे जमानत भी नहीं बचा पाये थे. इस बार पार्टी ने अति पिछड़ों के प्रति उदारता दिखायी है. अति पिछड़ी जाति से पार्टी ने सात उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. दलितों के लिए भी पार्टी ने अपना पिटारा खोला है. सुरक्षित सीटों पर पार्टी ने इस बार दलित समाज के 17 लोगों को अपना प्रत्याशी बनाया है.

राजद टिकट बंटवारे के बाद आया उबाल

पटना: पहले और दूसरे चरण के प्रत्याशियों की औपचारिक घोषणा होते ही राजद में उबाल आ गया है. सबसे ज्यादा आक्रोशित वे लोग हैं, जिनका टिकट कट गया है. दो विधायकों का टिकट कट गया है, वहीं एक अन्य विधायक सीट से बेदखल हो एडजस्टमेंट की आस में वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. सरायरंजन सीट से बेदखल किये गये पार्टी विधायक रामचंद्र सिंह निषाद बताते हैं कि आखिर उनका क्या कसूर था, जो उन्हें टिकट नहीं दिया गया. टिकट कटने की पहले से ही आशंका थी. सो उन्होंने विकल्प तलाश लिया है. अब वे स्वतंत्र हो गये हैं, संभवत शुक्रवार को जदयू में शामिल होंगे.कल्याणपुर के विधायक अशोक वर्मा कहते हैं कि उन्हें समझ में नहीं आता कि ओखर क्यों उनका टिकट काटा गया. जब बड़े नेताओं को एडजस्ट किया जा सकता है तो उन्हें क्यों नहीं. वह बताते हैं कि अपने समर्थकों से विचार-विमर्श कर रहे हैं. पार्टी छोड़ना तय है. महुआ सीट अब सामान्य हो गयी है. वहां के विधायक शिवचंद राम टिकट से बेदखल हो गये हैं. उन्हें आशा थी कि बगल के क्षेत्र राजापाकड़ से उन्हें उम्मीदवार बनाया जायेगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन समझौते के तहत सीट ही लोजपा के खाते में चली गयी. अब वह वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. वह बताते हैं कि अब भी वह पार्टी के प्रति समर्पित हैं. पार्टी का जैसा निर्देश मिलेगा वैसा करेंगे.

हर प्रमुख दल में बह रही है बगावत की बयार

patna kumar manglam बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ जदयू-भाजपा गठबंधन हो या राजद-लोजपा का मोर्चा सहित अन्य प्रमुख राजनीतिक दल सभी को इस बार कार्यकर्ताओं तथा पार्टी पदाधिकारियों के बगावती तेवरों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके मनपसंद उम्मीदवारों को चुनावी टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में भी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होते ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पार्टी के सहरसा के एक निवर्तमान विधायक ने टिकट कटने पर बगावती तेवर अख्तियार करते हुए बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। टिकट कटने से नाराज सहरसा के निवर्तमान विधायक संजीव कुमार झा के सहरसा पहुंचते ही समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया तथा टिकट बांटने में धांधली का आरोप लगाया। झा ने बताया कि पार्टी ने उनका टिकट काटकर पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर आघात किया है। झा ने कहा कि वह पहले भी कार्यकर्ता के साथ थे और आज भी हैं। उन्होंने अपना टिकट कटने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि वह चार अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे। सहरसा से उनका टिकट काट वहां से आलोक झा को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने मंगलवार की रात 87 सीटों के लिए अपने उम्मीदवार की पहली सूची जारी की थी। जिसमें एक मंत्री समेत तीन निवर्तमान विधायक का टिकट काटा गया है। पार्टी राज्य में 102 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के छह चरणों में 21 अक्टूबर से 20 नवंबर तक होगा। मतों कर गिनती 24 नवंबर को होनी है। प्रदेश में 21 और 24 अक्टूबर को क्रमशः पहले तथा दूसरे चरण के लिए 92 सीटों पर मतदान होगा। भाजपा के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ रहे जदयू ने पहले दो चरणों के लिए अपने 54 उम्मीदवारों की पहली सूची बुधवार को जारी की थी और बाकी शेष चार चरणों के लिए 73 उम्मीदवारों की सूची गुरुवार को जारी कर दी। अंतर्कलहों से घिरे जदयू ने बगावती तेवर वाले पार्टी नेताओं के सगे संबंधियों को चुनावी टिकट देने के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। मुजफ्फरपुर से पार्टी के लोकसभा सदस्य जयनारायण निषाद ने अपने बेटे के लिए पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर पूर्व में पार्टी नेतृत्व की खुले-आम निंदा की थी और यह मामला शांत भी नहीं हो पाया था कि एक अन्य सांसद पूर्णमासी राम ने बिना विचार-विमर्श के टिकट बंटवारे का आरोप लगाते हुए विरोध का झंडा बुलंद किया। राम ने विरोध जताते हुए कह डाला कि उनसे परामर्श किए बिना टिकटों का बंटवारा हुआ है। इसलिए वह कांग्रेस के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे। वहीं, वैशाली और समस्तीपुर में कुछ सीटों पर टिकटों के बंटवारे में परामर्श नहीं होने से क्षुब्ध पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कथित तौर पर राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया।

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